Saturday, March 31, 2018

भारत पाकिस्तान युद्ध

भारत पाकिस्तान युद्ध का प्रमुख कारण कच्छ का रण था । कच्छ के रण का राजा चाहता था कि कच्छ भारत में विलय हो । किंतु पाकिस्तान इस क्षेत्र को जबरदस्ती हड़पना चाहता था । इस प्रकार पाकिस्तान ने 1965 मे कच्छ के रण पर आक्रमण करके इसके कई क्षेत्रों को अपने अधिकार में ले लिया । इस बात से भारत भड़क गया और उसने अपनी सेना भेजकर पाकिस्तान से युद्ध शुरू कर दिया । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस मुकद्दमे को सुरक्षा परिषद में ले गए । सुरक्षा परिषद ने इस मुकद्दमे के निवारण के लिए ट्रिब्यूनल नामक एक संगठन बनाकर  भेजा । ट्रिब्यूनल नामक संगठन ने जांच पड़ताल करने के बाद सुरक्षा परिषद में जाकर फैसला सुनाया । कि विवादग्रस्त जमीन का 90% भाग भारत को दिया जाए । और शेष 10% भाग पाकिस्तान को दिया जाए । इस फ़ैसले का भारत सरकार पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ा । किंतु पाकिस्तान इससे गरमा गया । और 4 अगस्त 1965 को हजारों छापामार पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में घुस आए । सूचना मिलते ही भारतीय सेना ने भी अपनी कार्यवाही शुरु कर दी । और सैकड़ों छापामारों को पकड़ लिया तथा कइयों को मार डाला । उधर पाकिस्तान दूसरे उड़नदस्ते भेजने के लिए तैयार बैठा था । उसने अपना दूसरा दल कश्मीर भेज दिया । किन्तु कश्मीर मे भी भारत सरकार ने भी उन स्थानों को शील्ड कर दिया जहां से पाकिस्तानी घुसपैठ होती थी । 25 अगस्त 1965 को दोनों देशों के बीच आमने सामने की लड़ाई शुरू हो गई । जिसमें दोनों देश अपनी पूरी शक्ति के साथ एक-दूसरे से लड़े । भारत का छंम्ब जूलिया ऐसा स्थान था जहां से पाकिस्तानी आसानी से आक्रमण कर सकते थे । अतः उन्होंने वहां से ही आक्रमण करके अखनूर को अपने अधिकार में ले लिया । और वायुयान से अमृतसर पर हमला बोल दिया । किंतु भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ कर उन्हें करारा जवाब दिया । 23 सितंबर सन 1965 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने युद्ध में विराम लगा दिया । किन्तु तब तक भारतीय सेना पाकिस्तान में 740 वर्गमील पर अपना अधिकार कर चुकी थी । और पाकिस्तानी सेना ने 240 वर्गमील पर भारत में अपना अधिकार कर लिया था । जब दोनों देशों के बीच शांति हो गई तो सोवियत संघ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को समझौते के लिए ताशकंद बुलवाया । ताशकंद में दोनों देशों के बीच समझौता हो गया । किंतु फिर भी मतभेदों का अंत नहीं हुआ । 1967 में आतंकवादी पाकिस्तानी हवाई जहाजों से भारत में घुस आए । और इंडियन एयरलाइंस का विमान अपहरण कर ले गए । जब भारत ने पाकिस्तान से पूछताछ की तो उन्होंने विमान में आग लगा दी । ऐसा करने से भारत भड़क गया । और एक बार फिर युद्ध करने के लिए तैयार हो गया । उस समय पाकिस्तान में चुनाव हुए थे । इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुजीबुर्रहमान को आवामी लीग के नाम से भारी बहुमत से सफलता मिली । आवामी लीग का मुख्य उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिलाना था । क्योंकि पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान को गुलाम बनाकर रखता था । पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर भारी अत्याचार किए । जिससे वहां के लोग भयभीत होकर भारत की शरण में आ गए । भारत ने इन लोगों के खाने तथा रहने की व्यवस्था की । साथ ही इन लोगों को युद्ध का प्रशिक्षण दिया । जिससे उनका स्वतंत्र होने का हौसला बुलंद हो गया । इस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी । जिन्होंने दोनों देशों की सहमति के लिए भारी प्रयास किए । उधर पूर्वी पाकिस्तान में आवामी लीग ने कहा कि शासन की बागडोर जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपी जाए । किंतु पाकिस्तान ने उन्हें अपनी हिंसात्मक ताकत से कुचलकर बंदी बना लिया । इसका भारत ने विरोध किया । तथा अपने पड़ोस में चल रही घोर हिंसा को देखकर भारत कैसे आंखें मूंद कर चुपचाप बैठ सकता था । पाकिस्तान ने कहा कि भारत को हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । किन्तु भारत ने पाकिस्तान की एक न सुनी  । तो गुस्से मे आकर  पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान को छोड़कर भारत के पीछे हाथ धो कर पड़ गया । 12 नवंबर 1971 को दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने खड़ी हो गई । और कुछ पूर्वी पाकिस्तान के सैनिक भी भारतीय सेना में आ गए । पाकिस्तान ने दिल्ली से आगरा तक 10 हवाई अड्डों पर बमबारी शुरू कर दी । और उन्होंने कई चौकियां पर गोला बारुद बरसाने का प्रयास किया । भारतीय सेना पहले से ही सजक थी । अतः उन्होंने पाकिस्तानी सेना को करारा जवाब दिया । अमेरिका पाकिस्तान को इस संकट से बचाना चाहता था । अब भारत ने भी गुस्से में आकर यह कह दिया कि अब यह युद्ध तब समाप्त होगा जब पूर्वी पाकिस्तान से पाकिस्तानी फौज में हट जाएंगी । 3 दिसंबर 1971 को दोनों देशों के मध्य घमासान युद्ध शुरू हो गया । अब अमेरिका को लगा कि पाकिस्तान को हर ओर से हार का मुंह देखना पड़ेगा । क्योंकि भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को चारों दिशाओं से घेर लिया था । तो उसने इस मामले को सुरक्षा परिषद में ले जाकर रख दिया । वैसे भी अब तो पाकिस्तानी भारत के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो गए थे । ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल निजामी तथा भारतीय सेना के कमांडर जगजीत सिंह अरोरा के मध्य 16 दिसंबर 1971 को आत्मसमर्पण पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए । गए और पूर्वी पाकिस्तान के आवामी लीग के नेता शेख मुजीबुर्रहमान को आजाद करके उसकी रियासत उसे सोंप दी । और पूर्वी पाकिस्तान बंगलादेश के रूप मे एक स्वतंत्र देश बन गया । भारत पाकिस्तान का यह युद्ध 14 दिन तक चला । इसमे भारत की जीत तथा पाकिस्तान की हार हुई । इस युद्ध के बाद पाकिस्तान को अपने एक बडे भू-भाग से हाथ धोना पडा । 1972 मे पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप मे एक स्वतंत्र राष्ट्र बना दिया गया । और यहां की सरकार ढाका मे स्थापित की गई । भारत ने बंगलादेश की सभी समस्याओं की जिम्बेदारी ली । भारत के बाद बंगलादेश को कई देशों ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप मे मान्यता प्रदान कर दी ।

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