Thursday, October 12, 2017

ब्रम्हांड

ब्रह्मांड मे आज से लगभग 13.5 अरव वर्ष पहले एक विशाल तेज गति से चलता हुआ आग का एक गोला आकर के सूर्य से टकराया । सूर्य के टकराव से उस पिंड मे भयानक विष्फोट हुआ । जिसे बिग बैंग का विशाल धमाका कहते है 

। इसी से ब्रम्हांड की उत्पत्ती हुई । धमाके के बाद उस पिंड में से पृथ्वी सहित नौ ग्रह कई उपग्रह आकाशगंगा और तारामंडल निकले थे ।  सौरमंडल की खोज पोलैंड की खगोलशास्त्री निकोलस कॉपरनिकस ने की । हमरे सौरमंडल मे पहले 9 ग्रह थे ।

लेकिन 2008 मे अमेरिका मे स्थित नासा के वैज्ञानिकों ने प्लूटो ग्रह से ग्रह होने का दर्जा छीन लिया है । क्योंकि यह आकार में चंद्रमा से भी छोटा है । और पूरी तरह से वृताकार नहीं है ।  हमारे सौरमंडल में वर्तमान में 8 ग्रह है ।
जो अपनी अपनी धुरी पर घूमते हैं । और सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं । हमारे सौरमंडल में सर्पिलाकार की कई अरब मंदाकिनीयां है । जिनमें असंख्य तारे हैं । हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है । जिसे दुग्ध मेखला कहते हैं । यह बहती हुई गंगा जैसी दिखती है । इसलिए इसे आकाशगंगा भी कहते हैं । हमारी आकाशगंगा के निकटतम मंदाकिनी देवयानी मंदाकिनी है । इस समय ज्ञात नई मंदाकिनी ड्वार्फ है । सूर्य की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिंड ग्रह

कहलाते हैं और ग्रहों की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिंड उपग्रह

कहलाते हैं । सौर मंडल में सूर्य प्रधान होता है । सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित होता है । सूर्य को ही सौरमंडल का जन्मदाता माना जाता है । सूर्य एक तारा होता है । सूर्य में पाई जाने वाली सर्वाधिक गैस हाइड्रोजन और हीलियम होती है । चंद्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है । सूर्य अपने अक्ष या धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है । सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट 19 सेकंड का समय लगता है । सूर्य के सबसे निकट का तारा प्रेक्सिमा सेंचुरी है ।
      सौरमंडल का पहला सदस्य बुद्ध होता है । यह सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह होता है । बुद्ध आकार में सबसे छोटा ग्रह होता है । यह अपनी धुरी पर लगभग 59 दिनों में घूम जाता है । तथा सूर्य की परिक्रमा लगभग 88 दिनों में पूरी कर लेता है । बुद्ध सबसे कम समय में सूर्य की परिक्रमा करने वाला एक ग्रह है । बुद्ध ग्रह को चुंबकीय क्षेत्र वाला ग्रह कहते है ।
      शुक्र सौरमंडल का दूसरा ग्रह होता है । पृथ्वी के सबसे नजदीक ग्रह शुक्र होता है । शुक्र ग्रह सबसे चमकीला होने के कारण मॉर्निंग या इवनिंग स्टार कहलाता है । प्रातकाल यह पूर्व में और सांयकाल पश्चिम में दिखाई देता है । शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन या पृथ्वी का जुड़वां ग्रह भी कहते हैं । क्योंकि यह आकार और द्रव्यमान में पृथ्वी के लगभग समान और बराबर होता है । यह अपनी धुरी पर लगभग 10 घंटे 34 मिनट  मैं घूम जाता है । तथा लगभग 225 दिनों में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है । यूरोपवासी इस ग्रह को सुंदरता की देवी मानकर इसकी पूजा करते हैं । यह ग्रह सबसे अधिक गर्म होता है । सबसे चमकीला ग्रह शुक्र होता है ।
       सौरमंडल का चौथा सदस्य मंगल होता है । मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहते हैं । क्योंकि इसकी सतह आयरन ऑक्साइड के कारण लाल दिखती है । पृथ्वी के अलावा मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना व्यक्त की जा रही है । क्योंकि यहां पर वायुमंडल पाया जाता है । मंगल ग्रह का आकार अंडाकार है । मंगल ग्रह अपनी धुरी पर लगभग 24 घंटों में घूम जाता है । तथा लगभग 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है । इसके सबसे अधिक छोटे मात्र 2 उपग्रह है । जिनका नाम फोबोस तथा डिमोस है । मंगल ग्रह को युद्ध का देवता माना जाता है ।
       सौरमंडल का पांचवा सदस्य बृहस्पति होता है । यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होता है । जो सबसे तेज गति से अपनी धुरी पर लगभग 9 घंटे 50 मिनट में घूम जाता है । तथा लगभग 11 वर्ष 9 माह में अपना एक  सौर वर्ष पूरा कर लेता है । इसके उपग्रहों की संख्या 63 है । जो सबसे अधिक है । बृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह गैनीमिड है । बृहस्पति को पीला और लाल धब्बा युक्त ग्रह भी कहते हैं ।बृहस्पति पर सबसे अधिक हाइड्रोजन गैस पाई जाती है ।
        सौरमंडल का छटवा सदस्य शनि होता है । शनि ग्रह आसमान में पीले तारे के समान दिखता है । इस ग्रह के चारों ओर वलय पाई जाती है । इसलिए यह ग्रह सबसे सुंदर दिखाई देने वाला ग्रह है । यह ग्रह लगभग 10 घंटे 20 मिनट में अपनी धुरी पर एक परिक्रमा पूरी कर लेता है । तथा लगभग 29 वर्ष 6 माह में अपना एक सौर वर्ष पूरा कर लेता है । इसका उपग्रहों की तुलना में बृहस्पति के बाद दूसरा स्थान है । इसके उपग्रहों की संख्या 60 है । शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है । शनि सबसे कम घनत्व वाला ग्रह है । इसका घनत्व 0.7 है । फोवे उपग्रह शनि की कक्षा में घूमने के विपरीत परिक्रमण का कार्य करता है । सनी को कृषि का देवता माना जाता है । शनि ग्रह आसमान में पीले तारे के समान दिखाई देता है ।
      सौरमंडल का सातवा सदस्य यूरेनस होता है । यूरेनस ग्रह 10 घंटे 50 मिनट में अपनी धुरी पर घूम जाता है । तथा लगभग 84 वर्षों में अपना एक सौर वर्ष पूरा कर लेता है । इसके लगभग 15 उपग्रह है । इसके प्रमुख उपग्रह टाइटेनियां तथा एरियल है ।  इसके चारों ओर 9 वलय हैं । यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर झुका हुआ लेटा सा दिखाई देता है । इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं । यह ग्रह नीले एवं हरे रंग के प्रकाश को उत्सर्जित करता है । इस ग्रह पर मीथेन और कई गैसे पाई जाती हैं । इसीलिए इस ग्रह को सर्वाधिक गैसों वाला ग्रह भी कहते हैं । यूरेनस के उपग्रह पृथ्वी की विपरीत दिशा में घूमते हैं ।
       सौरमंडल का आठवा सदस्य नेपच्यून होता है । नेपच्यून ग्रह लगभग 15 घंटे 45 मिनट में अपनी धुरी पर घूम जाता है । तथा लगभग 165 वर्षों में अपना एक सौर वर्ष पूरा कर लेता है । इस ग्रह पर मीथेन गैस की अधिकता होने के कारण यह ग्रह धुंधली हरे रंग का दिखता है । इसलिए इसे हरा ग्रह भी कहते हैं । सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर स्थित होने के कारण उसे ग्रह को सर्वाधिक अंधेरे वाला ग्रह भी कहते हैं । इस ग्रह पर बर्फ की अधिकता होने के कारण इसे ग्रह को सर्वाधिक ठंडा ग्रह भी कहते हैं । इस ग्रह की खोज सबसे बाद में हुई थी इसलिए इसे आदि ग्रह भी कहते हैं । इस ग्रह के 8 उपग्रह हैं ।
      बुध और शुक्र ऐसे ग्रह है जिनका कोई उपग्रह नहीं है
      सूर्य के चारों ओर विपरीत दिशा में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर परिक्रमण करने वाले ग्रह शुक्र और यूरेनस है ।
        बुद्ध शुक्र मंगल बृहस्पति और सनी आदि ग्रहों को खुली आंखों से देखा जा सकता है
आकाशगंगा में गैसों के बादलों से बनने वाले तत्व तारे कहलाते हैं । पृथ्वी से देखा जाने वाला सर्वाधिक चमकीला तारा सायरस होता है । जिसे लुब्दक , व्याघ्र या ध्रुवतारा भी कहते हैं । जिस तारे का प्रकाश सूर्य से कम होता है उसे बामन तारा कहते हैं । और जिस तारे का प्रकार सूर्य से अधिक होता है उसे विशाल तारा कहते हैं । अब तक लगभग 89 तारामंडलों की पहचान की जा चुकी है । जिसमें सेंटोरस तारा सबसे बड़ा होता है  वे तारे कृष्ण विवर बन सकते हैं जो सूर्य से 3 गुना ज्यादा आकार वाले होते हैं । जब तारों में हाइड्रोजन समाप्त हो जाता है तब तारों की मृत्यु हो जाती है ।
ब्रह्मांड में छोटे-छोटे अन्य ग्रह जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं क्षुद्रग्रह कहलाते हैं । कभी-कभी यह ग्रह जब पृथ्वी से टकराते हैं । तो वहां पर एक विशाल गर्त बना देते हैं । महाराष्ट्र में स्थित लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है । जो क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने से बना है । क्षुद्र ग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच पाए जाते हैं ।
तीर के समान एक लंबा चमकता हुआ आकाशीय पिंड जो रात के समय आसमान में तेजी से जाता हुआ दिखाई देता है धूम्रकेतु या पुच्छल तारा

कहलाता है । वह धूम्रकेतु जो 76 वर्ष बाद दिखाई देता है । तथा 2062 में दिखाई देगा हेली धूमकेतु है ।
एक टूटा हुआ तारा जो पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचने से जलने लगता है और दौड़ता हुआ दिखाई देता है उसे उल्काएं

कहते हैं ।
। चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है । जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है । यह पृथ्वी का 1/4 गुना होता है । तथा इसकी पृथ्वी से दूरी 84 हजार किलोमीटर है । पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है । जो लगभग 27 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है । पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र को सैसुलुनर कहते हैं । पृथ्वी से चंद्रमा का 59% भाग देखा जा सकता है । सी ऑफ ट्रेंक्वॉलिटी चंद्रमा का वह भाग है । जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता । चंद्रमा के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1 मिनट 30 सेकंड का समय लगता है । चंद्रमा का व्यास 3470 किलोमीटर है । चंद्रमा पर पहुंचने वाले पहले वैज्ञानिक नील आर्म स्ट्रांग थे । जो अपोलो 11 नामक अंतरिक्ष विमान में गए थे । चंद्रमा एक जीवाश्म ग्रह है । चंद्रमा पर धूल का मैदान शांतीसागर कहलाता है
किसी खगोलीय पिंड के के अंधकारमय हो जाने को ग्रहण करते हैं । ग्रहण दो प्रकार के होते है । जब चंद्रमा सूरज और पृथ्वी के बीच आ जाता है

तब सूर्य का प्रकाश चंद्रमा से रुक कर पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता ऐसी स्थिति में सूर्य ग्रहण होता है । सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या को होता है 
     जब पृथ्वी सूरज और चंद्रमा के बीच आ जाती है

तब सूर्य का प्रकाश प्रथ्वी से रुक कर चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता ऐसी स्थिति में चंद्रग्रहण होता है । चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को होता है
सौरमंडल का तीसरा सदस्य हमारी पृथ्वी होती है । यह सौरमंडल का पांचवा बड़ा ग्रह है । पृथ्वी की आकृति जियोर्ड या गोलाकार है । इसकी उत्पत्ति एक ज्वलित  गैसीय पिंड से हुई है । पृथ्वी की आयु लगभग 4.5 अरब वर्ष मानी जाती है । पृथ्वी का क्षेत्रफल 51 करोड़ वर्ग किलोमीटर है । जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह कहते हैं । यह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह जिस पर जीवन संभव है । हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5° झुकी हुई है । पृथ्वी का व्यास लगभग 12735  किलोमीटर है । सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा पोस्थुमा सेंचुरी है । पृथ्वी सर्वाधिक घनत्व वाला एक ग्रह है । पृथ्वी पर आक्षांस रेखाएं 0° - 180°  तक होती है । इनका उपयोग दूरी नापने के लिए किया जाता है । एक आक्षांस से दूसरे अक्षांश के बीच की दूरी 111 किलोमीटर होती है । देशांतर रेखाएं 0° - 90° डिग्री तक की होती है । इनका उपयोग समय मापने के लिए किया जाता है । दो देशांतरों के मध्य 4 मिनट का समय होता है । 82°30 पूर्वी देशांतर हमारे देश के प्रधान मध्य रेखा है । इसका समय भारतीय प्रमाणिक समय माना जाता है । यह रेखा इलाहाबाद के निकट नैनी नामक स्थान से निकलती है । जो भारत के 4 राज्यों उत्तर , प्रदेश मध्य , प्रदेश , छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से गुजरती है । ।  0° देशांतर को जीएमटी या ग्रीनविच मीन टाइम करते हैं ।  यह इंग्लैंड के ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 6:30 घंटे आगे है । 180 डिग्री पूर्वी देशांतर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं ।
सूर्य हमारी पृथ्वी के सापेक्ष में स्थित है । लेकिन हमारी पृथ्वी गति कर रही है । हम एक गतिशील पिंड पर निवास कर रहे हैं ।  फिर भी हमें पृथ्वी स्थिर और सूर्य चलता हुआ वैसे ही प्रतीत होता है । जिस तरह हम बस या रेलगाड़ी में सफर करते है तो हमें बाहर स्थित पेड़ पौधे और मकान तेजी से पीछे भागते हुए दिखाई देते हैं । किंतु वास्तव में वे तो स्थिर  होते है । हमारा वाहन गति कर रहा होता है । इसलिए वे हमें घूमते हुए दिखते हैं । ऐसे ही सूर्य हमें सुबह पूर्व दिशा से उगते हुए धीरे-धीरे गति करता हुआ शाम को पश्चिम दिशा में अस्त होता हुआ दिखाई देता है ।
हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चक्कर भी लगा रही है । जो अपने अक्ष पर एक लट्टू (भोंरा) की भांति घूमती है । और अंतरिक्ष में एक अंडाकार पथ पर सूर्य की परिक्रमा करती है । पृथ्वी के घूमने की दो गतियां हैं
(1) घूर्णन या दैनिक गति
(2)  परिक्रमण या वार्षिक गति
पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से लगभग 24 घंटों में एक पूरा चक्कर लगाती है । पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं । इसी घूर्णन गति के कारण सूर्योदय और सूर्यास्त के साथ साथ दिन तथा रात होते हैं । तथा समुद्र की धारा में परिवर्तन होती है । जिससे उसमें ज्वारभाटा आता है । घूर्णन गति के दौरान पृथ्वी का प्रत्येक भाग बारी-बारी से सूर्य के सामने आता है । इससे सूर्य के सामने वाले भाग पर जहां सूर्य का प्रकाश पड़ता है । वहां दिन होता है । किंतु पीछे वाले भाग पर जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता । वहां रात होती है । तभी तो जब अमेरिका मे रात होती है । तब भारत मे सुबह और भारत मे सुबह होने पर अमेरिका मे रात होती है । हमारी पृथ्वी को प्रकाश सूर्य से मिलता है
हमारी पृथ्वी लगभग 1 वर्ष में सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है । इसे पृथ्वी की परिक्रमण या वार्षिक गति कहते हैं । इस गति के कारण हमारी पृथ्वी पर मौसम और ऋतु परिवर्तन होता है । तथा दिन रात छोटे बड़े होते हैं । हमारी पृथ्वी को ताप सूर्य से ही मिलता है पृथ्वी की परिक्रमण गति और अपने अक्ष पर 23.5° झुकी होने के कारण पृथ्वी को मिलने वाले ताप की मात्रा बदलती है । जिससे पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है । हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर सीधी  ना होकर कर झुकी हुई है जो अपने तल से 66.5° का कोण बनाती है ।
भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो भागों में बांटती है । ऊपरी सिरे को उत्तरी गोलार्ध तथा नीचे के हिस्से को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं । कर्क रेखा प्रथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध मे तथा मकर रेखा प्रथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्द मे स्थित है । सूर्य कर्क रेखा भूमध्य रेखा और मकर रेखा पर ही सीधा चमकता है ।
21 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध मे कर्क रेखा पर सीधा चमकता है । इस समय प्रथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य के नजदीक और सामने आ जाता है । इससे उत्तरी गोलार्ध में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है । और दिन बड़े तथा रात छोटी हो जाती है । जवकि इस समय दक्षिणी गोलार्ध में दिन छोटे तथा रातें बड़ी हो जाती हैं । और वहां काफी सर्दी पड़ती है । इसलिए इस दिन को कर्क संक्रांति कहते है । इसके बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है (दक्षिणी गोलार्द्ध की तरफ मुड जाता है)
       23 सितंबर को दक्षिणी गोलार्ध की ओर जाता हुआ सूर्य विषुवत रेखा (भूमध्य रेखा) पर पहुंच जाता है । जिससे दोनों गोलार्द्ध में समान ताप के साथ-साथ उत्तरी गोलार्द्ध यनी भारत में शरद ऋतु होती है ।
        22 दिसंबर को सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध मे मकर रेखा पर सीधा चमकता है । इस समय प्रथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध जहां भारत देस है सूर्य से दूर चले जाने कारण सूर्य की किरणे तिरछी पडती हैं । जिससे उत्तरी गोलार्ध में बहुत अधिक ठंड पड़ती है । और दिन छोटे तथा रात बड़ी हो जाती हैं । जबकि इस समय दक्षिणी गोलार्ध में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है । और दिन बड़े तथा रात छोटी हो जाती है । इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहते है । इसके बाद सूर्य उत्तरायण हो जाता है । (उत्तरी गोलार्द्ध की तरफ मुड जाता है )
       21 मार्च को दक्षिणी गोलार्ध से लौटता हुआ सूर्य (विषुवत रेखा) भूमध्य रेखा पर फिर से पहुंच जाता है । जिससे दोनों गोलार्द्ध में समान ताप के साथ साथ उत्तरी गोलार्ध यानी भारत में वसंत ऋतु होती है ।
      सूर्य की किरणे सीधी पड रही है या फिर तिरछी इसका अनुमान लगाना आसान है । दोपहर के समय सूर्य के सामने खडे होकर अपनी परछाई को देखो । गर्मी के मौसम में सूर्य की किरणें जब सीधी पड़ती हैं तो परछाई छोटी दिखती है । लेकिन सर्दी के मौसम में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं तो वह परछाई लंबी दिखती है ।
        जब सूर्य भूमध्य रेखा पर होता है तब भारत कर्क रेखा पर स्थित राज्यो मे दिन रात बराबर के होते है ।
       कई देशों में सूर्य बिल्कुल नहीं पहुंच पाता इसलिए वहां के लोग गोरे रहते हैं । दक्षिणअफ्रीका जैसे कई देशों में सूर्य वर्ष में दो बार सीधा चमकता है । इसलिए वहां के लोग अधिक रूप से काले पड़ जाते हैं ।

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