Thursday, August 30, 2018

स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत


 भारत में सिविल परीक्षा का प्रारंभ भी अंग्रेजों ने ही किया । जिसकी परीक्षा में भाग लेने की अनुमति सबको थी । लेकिन भारतीय इस परीक्षा में इसलिए भाग नहीं ले पाते थे क्योंकि यह परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में ही होती थी । इस परीक्षा को देने की अधिकतम आयु मात्र 20 वर्ष थी । इसलिए इसमें केवल इंग्लैंड के व्यापारी ही नियुक्त किए जाते थे । इस तरह अंग्रेजों ने भारतीयों को बहुत ज्यादा तंग किया । और कठोर यातनाएं दी ।
 1876 में इंग्लैंड की महारानी को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया । जो संपूर्ण भारत की सर्वोच्च शासक बन गई । राजाओं के मामले में ब्रिटिश सरकार हस्तक्षेप करने लगी । भारतीय राजाओं को विदेश जाने से पूर्व अंग्रेजों की अनुमति लेनी पड़ती थी । यह एक तरह से भारतीय सेनाओं के विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध था । भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के नियंत्रण में रखा जाता था । देश में धार्मिक, कट्टरता, सांप्रदायिकता एवं जातिवाद के समीकरण बंद हो चुके थे । 

कर्जन ने भारत विरोधी कार्य में 1905 में बंगाल का विभाजन हिंदू मुस्लिम एकता को खत्म करने के लिए किया था । जो उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई । क्योंकि इसके विरोध में 16 अक्टूबर को पूरे बंगाल में शोक दिवस मनाया गया । और विभाजन के खिलाफ जतींद्रनाथ मुखर्जी ने आंदोलन किया । तो उन्हें बाघा जतिन नाम दिया गया ।
1905 में लॉर्ड मिंटो द्वितीय वायसराय बना । बंगाल विभाजन के बाद 1906 मे आगा खान तथा सलीम उल्ला खान ने मुस्लिम लीग पार्टी की स्थापना की । इस पार्टी के प्रमुख अध्यक्ष वकार-उल-मुल्क मुस्ताद हुसैन थे ।
1909 में मार्ले मिंटो सुधार लाया गया । मिंटो द्वितीय के समय भारतीय परिषद एक्ट 1909 लाया गया । जिसे मार्ले मिंटो सुधार करते हैं । जिससे लोगों को सार्वजनिक हितों से संबंधित प्रश्नों पर बहस करने तथा पूरक प्रश्नों को पूछने का अधिकार मिल गया । इसके साथ ही मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की स्थापना की गई ।
1911 में ब्रिटेन का सम्राट जॉर्ज पंचम
दिल्ली आया था । दिल्ली मे उसने स्वागत के लिए भव्य दरबार का आयोजन किया गया था । जॉर्ज पंचम ने बंगाल का विभाजन रद्द करके राजधानी को कोलकाता से दिल्ली करने की घोषणा की थी । जिसका बंगाल के महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस 
ने विरोध किया था । और 1912 में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम्म फैंककर उस पर हमला करके जापान भाग गया था । गुजरात में बारदोली के किसानों ने अंग्रेजों द्वारा अधिक लगान वसूला जा रहा था । जिसे 1911 में सत्याग्रह करके सरदार वल्लभभाई पटेल ने बहुत कम करवा दिया था । तो वहां की महिलाओं ने प्रसन्न होकर बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी ।

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