Sunday, March 17, 2019

मुहम्मद अली जिन्ना

वर्तमान समय में मोहम्मद अली जिन्ना को कौन नहीं जानता है । जिन्ना ही वह इन्सान है जिसने अखण्ड भारत के दो टुकड़े कराकर हिन्दू मुस्लिम दंगों मे लाखो लोगों का ख़ून चूस लिया था । मुहम्मद अली जिन्ना को पाकस्तान में "काइदे-आजम" यानि कि महान नेता और "बाबा-ए-कौम" यानि कि राष्ट्रपिता के नाम से जाना जाता है। जिस प्रकार महात्मा गांधी का भारत में स्थान है, वहीं स्थान ज़िन्ना का पाकिस्तान में है । जिस प्रकार भारतीय मुद्रा पर गांधी जी छिपे रहते है वैसे ही पाकिस्तानी मुद्रा पर मुहम्मद अली जिन्ना छिपा रहता है । मुहम्मद अली जिन्ना मुशलमान नहीं हिन्दू था । जिन्ना के पिता का नाम पूंजा भाईजी तथा माता का नाम मीठीबाई था जो गुज़ारत के काठियावाड जिले के रहने वाले लोहना जाति के हिन्दू थे । लोहना जाति के लोगों को वैश्य यानी बनिया कहते हैं और यह सब जानते हैं कि बनिया का काम तो व्यापार करना होता है । जिन्ना के पिता को अपने कारोबार में घाटा हुआ तो उसने मछली बेचने का काम शुरू कर दिया । लोहना जाति के लोगों ने जिन्ना के पिता से मछली बेचने का कारोबार नहीं करने के लिए काफी मना किया था क्योंकि लोहाना जाति के लोग मांस खाना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करते हैं । लेकिन जिन्ना के पिता ने अपना मछली बेचने का कारोबार बंद नहीं किया तो संपूर्ण लोहाना जाति ने जिन्ना के पिता का तिरस्कार कर दिया । और उसे अपमानित करते थे ऐसी स्थिति में जिन्ना के पिता ने अपनी पत्नी को लेकर गुजरात से निकलना उचित समझा । वह गुजरात से निकलकर करांची पहुंच गये । और वहां पर जाकर उसने मुस्लिम धर्म कबूल करके अपना नया नाम पूजा भाई से बदलकर मोहम्मद जिन्ना रख लिया और वहां जिन्ना के पिता ने मुस्लिम बहुलता वाले क्षेत्रों में मछली का कारोबार शुरू कर दिया । उसका कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा जल्द ही वह बहुत बड़ा मछली कारोबारी बन गया । उसका कारोबार भारत में ही नहीं लंदन तक फैल गया । मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 1876 में कराची में ही हुआ था । मोहम्मद अली जिन्ना का बचपन का नाम अली था । जब वह लंदन से वकालत की पढ़ाई करके भारत आये थे तो वह गांधी जी से मिला । उसने देखा के गांधी जी ने अपना पूरा नाम पिता के नाम के साथ जोड़कर मोहनदास करमचंद गांधी रख लिया है । तो जिन्ना ने भी अपना नाम अली के स्थान पर मोहम्मद अली जिन्ना रख लिया था ‌। यह बात सत्य है कि जिन्ना को इस्लाम धर्म की कोई जानकारी नहीं थी । जब वह लंदन से लौटा तो स्वयं को मुस्लिम कहलाना उसे पसंद नहीं था । जिन्ना को नवाज पढ़ना नहीं आता था जिन्ना सूअर का मांस खाता था । सूअर का गोश्त जिन्ना को बहुत पसंद था । मुस्लिम लोग सूअर से बहुत नफरत करते हैं सूअर शब्द मुंह से बोलने पर उनकी जवान खराब हो जाती है । वे सूअर को जानवर या खिंजीर कहकर पुकारते हैं सूअर का मांस खाना तो दूर मुशलमान सूअर को देखना भी पसंद नहीं करते हैं । 1906 में जिन्ना ने मुस्लिम लीग की स्थापना की । फिर वे मुस्लिम लीग विचारधारा के समर्थक होते चले गए । 1930 तक आते-आते भारत में आजादी की लड़ाई तेज हो गई थी । जिसका फायदा जिन्ना ने उठाया और मुसलमानों को भड़काना शुरू कर दिया । जिन्ना ने मुसलमानों से कहा कि हिंदू और मुसलमान कभी एक नहीं हो सकते हैं । क्योंकि दोनों के रीति-रिवाज और रहन-सहन अलग-अलग होते हैं । दोनों समुदाय एक दूसरे के घर खाना नहीं खाते हैं और नहीं शादी विवाह करते हैं । बस इसी बात को आधार बनाकर उसने मुसलमान जनता को पूरी तरह से बहका  दिया और अंग्रेजों के सामने भारत के दो टुकड़े करने की मांग रख दी । जिन्ना की इस मांग को महात्मा गांधी ने मानने से इनकार कर दिया । फिर उसने मुस्लिम जनता से हिंदुओं की खिलाफत करना शुरू कर दिया । मुस्लिम जनता जिन्ना की बात को मानने के लिए तैयार हो गई और मुसलमानों के लिए नए राष्ट्र की मांग करने लगी । अंग्रेजों ने भी जिन्ना को काफी समझाने की कोशिश की थी अलग रहने से कोई फायदा नहीं है साथ में मिलकर रहो । लेकिन सत्ता के लालच ने जिन्ना की आंखों पर पट्टी बांधी थी । जिन्ना को लगता था कि भारत में रह कर वह सत्ता के शिखर तक नहीं पहुंच सकते हैं उनके मन की महत्वकांक्षा तो किसी देश की मुद्रा पर हमेशा के लिए छपने की थी 
जिसमें वे सफल तो हुए लेकिन उनकी ये कहानी लाखों लोगों की ख़ून की स्याही से लिखी गई ।

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