Wednesday, August 23, 2017

होमरूल आंदोलन

प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने भारतीय राजाओं को यह आश्वासन दिया कि यदि भारत युद्ध में ब्रिटेन की सहायता करेगा तो युद्ध के पश्चात ब्रिटेन भारत को स्वतंत्र कर देगा । कांग्रेस के नेता पहले तो ब्रिटेन की सहायता करने को तैयार हो गए । किंतु शीघ्र ही भारतीय नेताओं को यह अनुमान हो गया कि ब्रिटेन भारत को कदापि स्वतंत्र नहीं करेगा । श्रीमती एनी बेसेंट

श्रीमती एनी बेसेंट एक ब्रिटिश महिला थी । वे 1893 में इग्लैण्ड से भारत आई थी । और भारत के हिंदुओं से अथाह प्रेम करने लगी । हिंदू धर्म में वे इतनी हिल-मिल गई कि स्वयं को हिंदू मानने लगी थी । और वे ऊँ नमः शिवाय बोलती थी । वे स्वयं को नारी नहीं एक पुरुष मानती थी । मेम साहब की अपेक्षा अम्मा कहलाना उन्हें पसंद था । महात्मा गांधी ने उन्हें बसंत देवी की उपाधि प्रदान की थी । तो भारतवासी सम्मान से उन्हें मां बसंत (माता बसंत) कहकर पुकारते थे । इसके अलावा श्रीमती एनी बेसेंट 'आयरन लेडी' और 'पूर्व का सितारा' नाम से भी काफी मसहूर थी । भारत में आकर वे समाज सेवा में लग गई थी । नारी मुक्ति समर्थन में एनी बेसेंट का विशेष योगदान रहा है । उन्होंने सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह,विधवा विवाह,छुआछूत,जात-पात के बंधन को दूर करने के लिए 'ब्रदर्स ऑफ सर्विस' नामक संस्था बनाई । सन 1898 में उन्होंने बनारस में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की । 1907 में थियोसोफिल  सोसाइटी की अध्यक्ष चुनी गई । सन 1914 में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया । सन 1915 में न्यू इंडिया नामक मद्रास से एक समाचार पत्र शुरू किया । 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष चुनी गई । इनकी रचना हाउ इंडिया रोट फोर फ्रीडम नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में राष्ट्रीय कांग्रेस की कहानी है और इस ग्रंथ में इन्होंने भारत को अपनी मातृभूमि माना है । रिलीजंस प्रॉब्लम इन इंडिया इनकी एक महान साहित्य कृति है । फॉरगेट रिलीजंस  धर्म पर लिखी हुई एक मशहूर पुस्तक है । इंडिया ए नेशन नामक इनकी पुस्तक को अंग्रेजो ने जप्त कर लिया था । उनकी अंतिम इच्छा थी कि मेरा अगला जन्म हिंदू परिवार में हो । और वह गंगा नदी के किनारे वाराणसी में अपना अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार करवाना चाहती थी । जिसे 1933 में मद्रास में उनकी मृत्यु के बाद भारतीयों ने पूरा किया ।
1893 में इंग्लैंड से भारत आई थी । और थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्य बनी । तिलक 1914 में बर्मा से 6 वर्ष का निर्वासित जीवन व्यतीत करके आए थे । और भारत में आकर पुनः कांग्रेस में शामिल हो गए । 28 अप्रैल 1916 में बाल गंगाधर तिलक

ने पूना में स्थित बेलगाम में इंडियन होमरुल लीग की स्थापना की । जिसका उद्देश्य अंग्रेजों को भगाना नहीं था । बल्कि भारतीयों को स्वशासन दिलाना था । बाल गंगाधर तिलक ने भारतीयों को जागृत करने के लिए "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा" यह नारा दिया । इसके साथ ही तिलक ने मराठा तथा केसरी नामक समाचार पत्रों में इसे छपवाकर इसका खूब प्रचार किया । प्रचार से प्रभावित होकर श्रीमती एनी बेसेंट ने होमरूल लीग की स्थापना सितंबर 1916 में मद्रास में की । और काफी लोगों को इस संस्था से जोड़ लिया । जिससे ब्रिटिश सरकार बेचैन हो गई । और उन्होंने आंदोलनकारियों का दमन करने के लिए अनेक तरीके अपनाए थे ।

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