Monday, August 7, 2017

अंग्रजों का बंगाल पर अधिकार

1740 में अलीवर्दी खां बंगाल का नवाब बना । वह एक योग्य और कूटनीतिक शासक था । वह यूरोपिय कोमों के मंसूबों से सावधान रहता था । क्योंकि अंग्रेजों ने उसके कई विश्वासपात्र सैनिकों को उसके साथ विश्वासघात करने को तैयार कर लिया था । अलीवर्दी खां कलकत्ता में अंग्रेजों की लगातार बन रही कोठी व किलेबंदी से बेहद नाराज था इसके साथ ही अंग्रेज सिराजुदौला के खिलाफ षणयंत्र रचने वाले दीवान राजबल्लव सैन के पुत्र क्रष्णदास को सरण देकर पाल रहे थे । अलीवर्दी खां बूढ़ा हो गया था । बीमार होने की वजह से एक दिन उसने अपने उत्तराधिकारी (नाती) सिराजुद्दौला को  बुलाकर कहा -"बेटे मुल्क के अंदर यूरोपिय कोमो की ताकत पर नजर रखना । यदि ईश्वर मेरी उम्र बढ़ा देता तो मैं तुम्हें इस डर से भी आजाद कर देता । इसलिए मेरे बेटे यह काम अब तुम्हें करना होगा । उन्होंने मुगल सम्राट के मुल्क तथा रियासत का सारा धन छीनकर अपने आप में बांट लिया है । इन तीनों यूरोपिय कोमों को एक साथ कमजोर करने का ख्याल न करना । अंग्रेजों की ताकत बढ़ गई है पहले उन्हें खत्म करना । जब तुम अंग्रेजों को खत्म कर लोगे तो बाकी दो कोमे तुम्हें अधिक तकलीफ नहीं देंगे । मेरे बेटे उन्हें अपनी रियासत में किला बनाने तथा फौजे रखने की इजाजत मत देना । यदि तुमने ऐसी गलती की तो मुल्कदधद तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा ।" 1756 में अलीवर्दी खां की मृत्यु हो गई । इसके बाद सिराजुद्दौला अपने नाना की गद्दी पर बैठकर बंगाल का नवाब बना । इसके अलावा अलीवर्दी खां की बड़ी बेटी घसीटी बेगम (घसीटी बेगम ने ढाका के हाकिम नवाजिस मुहम्मद से शादी की थी जो इसका चचेरा भाई था । इसकी शादी के कुछ वर्ष बाद ही इसके पति की म्रत्यु हो गई । पति की म्रत्यु के बाद घसीटी बेगम ने एक दरवारी हुसैन कुली के साथ अवैध संम्बध बना लिए थे । तो सिराजुदौला ने गुस्से मे आकर मुर्सिदाबाद की सडक पर हुसैन कुली की हत्या करवा दी । बस तभी से सिराजुदौला घसीटी बेगम का दुश्मन बन गया । ) अपनी छोटी बहिन के पुत्र शौकतजंग सुल्तान बनाकर गद्दी पर अपना कब्जा करना चाहती थी । क्योंकि उसे दीवान राजबल्लभ सैन का सहयोग मिल रहा था । राजबल्लव सैन घसीटी बेगम का दीवान था । जिससे नवाव सिराजुदौला इसलिए नाराज था क्योंकि यह घसीटी बेगम के साथ मिलकर नवाव का बहुत सा धन हडपकर अंग्रेज़ों की सरण मे चला गया था । इसी के साथ ही अलीवर्दी खां का बहनोई वह सेनापति मीरजाफर भी नवाब बनने के सपने देख रहा था । यह सभी सिराजुद्दौला के दुश्मन मीरजाफर,शौकतजंग और जगतसेठ मिलकर अंग्रेजों के संरक्षण में षड्यंत्रों को जन्म दे रहे थे । अंग्रेज नहीं चाहते थे कि सिराजुद्दौला शासन करें । इसलिए उन्होंने साजिशों का मकड़जाल बिछाना शुरू कर दिया । सिराजुद्दौला जब गद्दी पर बैठा तो वहां की रीति रिवाज के अनुसार उसे बड़े-बड़े वजीरों उलेमाओं और व्यापारियों ने तोहफे भेंट किए । किंतु सभा में एक भी अंग्रेज नहीं था और नहीं उनकी तरफ से नवाब को कोई उपहार भेंट किया गया । इस समय अंग्रेज बंगाल में बिना कर दिए व्यापार कर रहे थे । जिससे राजकीय खजाने को नुकसान हो रहा था । फिर भी सिराजुदौला शांत था वह अंग्रेजों से कुछ नही कह रहा था । अब अंग्रेजों ने सिराजुदौला के मौसेरे भाई शौकतजंग को ऐसा भड़काया की उसने सीधा जाकर बिना किसी बात के सिराजुद्दोला को अपमानित किया । सिराजुद्दौला को इस बात की भनक लग गई । कि शौकत जंग को अंग्रेजों ने भडकाया है । तो सिराजुदौला ने गुस्से में आकर शौकतजंग को युद्ध मे हराकर उसकी हत्या करवा दी । और 4 जून सन 1756 को अंग्रेजों के कासिम बाजार की फैक्ट्री पर हमला बोल कर उसे अपने अधिकार में ले लिया । गवर्नर ड्रेक व्यापारियो, महिलाओं और बच्चों को लेकर कोलकाता से भाग गया । सिराजुदौला ने कई अंग्रेज़ों को पकडवाकर किले की कालकोठरी मे बन्दी बना लिया । इस प्रकार 22 जून सन 1756 को पूरे कोलकाता पर नवाब का अधिकार हो गया । इसके बाद बन्दी बनाए गए अंग्रजों पर दया करक सिराजुदौला ने उन्हे छोड दिया । यह सिराजुदौला की बहुत बडी भूल साबित हुई । उधर कलकत्ता के पतन का समाचार सुनकर रॉबर्ट क्लाइव मद्रास से सेना लेकर बंगाल पहुंचा । और जनवरी 1757 में एक छोटी सी लड़ाई के बाद कोलकाता पर क्लाइव का अधिकार हो गया । नवाब युद्ध में पराजित हुआ और उसे मजबूर होकर 9 फरवरी 1757 को ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रोवर्ट क्लाइव तथा वाटरसन से मिलकर अलीनगर की संधि करनी पडी । जिसके द्वारा अंग्रेजों को समस्त बंगाल मे व्यापार करने तथा किला बनाकर रहने की इजाजत मिल गई और कलकत्ता मे सिक्का बनाने का एक कारखाना खोलने की इजाजत मिल गई । युद्ध मे हुई क्षति का कई गुना ज्यादा हर्जाना अंग्रेजों ने वसूला । इसके एक महीने बाद अंग्रेजों ने कलकत्ता से कुछ मील दूर गंगा नदी के किनारे फ्रांसीसी बस्ती चंद्रनगर पर हमला करके उसे जीत लिया और सिराजुदौला के सेनापति मीर जाफर को कुर्सी का लालच देकर अपनी तरफ मिलाया । और फिर सिराजुदौला से युद्ध करने का बहाना खोजने लगे । जब सिराजुदौला की अंग्रेज़ों को कोई गलती ही नहीं मिल रही थी तो उन्होंने एक षणयंत्र रचकर नवाब पर अलीनगर की संधि भंग करने का झूंठा आरोप लगाया । आरोप लगाकर क्लाइव सिराजुद्दौला की रियासत मुर्शिदाबाद की और सेना लेकर चल पड़ा । बंगाल का पहला नवाव नाजमुद्दोला तथा  अंतिम नवाव मुबारक उद्दौला था ।

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