Sunday, October 22, 2017

हडप्पा सभ्ताता

हडप्पा निवासियों की सर्वोत्तम कलाकृतियां होने की म्रण मुद्राएं हैं अव तक 5000 मुद्रा खोदी जा चुकी है  इन पर जानवरों की आकृतियां तथा नमूने अंकित है । हड़प्पा निवासी नापतोल  के लिए बांट तथा दंड का प्रयोग करते थे क्योंकि खुदाई में बांट  तथा कांसे का तराजू मिला है । हड़प्पा सभ्यता मे पकी हुई इंटों की स्त्री प्रतिमाएं काफी तादात में मिली हैं जिससे अनुमान होता है कि देवी उपासना प्रचलित थी । एक मोहर पर तीन सिंह युक्त ध्यान करते हुए देवता का अंकन है । यह देवता पद्मासन में बैठा है । इसके आसपास एक हाथी एक गैंडा एक भैंसा तथा दो हिरणों का अंकन है । इतिहासकारों ने इस देवता की पहचान पशुपतिनाथ शिव के रुप में की है हड़प्पा सभ्यता में पक्की ईंटों और पत्थरों पर लिंग और योनि के अनेक चिन्य मिले हैं इसके अलावा कमंडल यज्ञ वेदी और स्वास्तिक चिन्ह आदि के अवशेषों के अंकन मिले हैं मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है कायथा की खुदाई में हड़प्पा सभ्यता के समान एक मोहर शेर कढ़ी के मनके मिट्टी की मूर्तियां तथा बर्तन मिले हैं हड़प्पा सभ्यता की कई मोहरों पर  कूबड वाले सांड की मृण मूर्ति का अंकन मिलता है उत्खनन में ताबीज बड़ी तादात में मिले हैं जिससे अनुमान लगता है की हड़प्पा निवासी भूतों प्रेतों में विश्वास करके उनसे बचने के लिए ताबीज पहनते थे हड़प्पा सभ्यता में पीपल की पूजा के प्रमाण  म्रण मुहरों और पात्रों पर मिलते हैं इस व्रक्ष की उपासना आज तक जारी है भारतीय पीपल को पवित्र वृक्ष मानते हैं वैज्ञानिक भी इस वृक्ष को पर्यावरण शुद्धि की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हैं पात्रों पर मिले कई चित्रों के अंकन धार्मिक विचारों की जानकारी देते हैं कुछ पात्रों पर मोर का अंकन मिलता है आज भी भारत के कई जगहों के कुमार अपने पात्रों पर मोर का अंकन करते हैं हड़प्पा निवासी योग विद्या के प्रारंभिक जनक थे म्रण मोहरों से प्राप्त चित्रांकन के आधार पर इस बात की जानकारी मिलती है कि हड़प्पा निवासी यौगिक क्रियाओं के जानकार थे हड़प्पा सभ्यता ताम्रस्य काल की है यह समय कांस्य युग भी कहलाता है तावे मे जिंग और टिन मिलाकर कांसा बनाया जाता था कांसा तांवे की तुलना में अधिक मजबूत होता था खुदाई से प्राप्त सामग्री के आधार पर ज्ञात होता है कि इस सभ्यता के लोगों ने धातुओं को गलाने ढालने और सम्मिश्रण की कला में विशेष उन्नति की थी मिट्टी के बर्तन बनाने खिलौने बनाने मोहरें निर्माण करने में यहां के कलाकार होशियार थे प्रतिमाओं को पकाया भी जाता था इसके अलावा स्वर्णकार चांदी सोना और रत्नो के आभूषण और विभिन्न रंगों के मनके भी बनाते थे कांसे की नर्तकी उनकी मूर्तिकला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है हड़प्पा सभ्यता की जीवनदायिनी नदी सिंधु थी यह नदी अपने साथ भारी मात्रा में उपजाऊ मिट्टी लाती थी हड़प्पा सभ्यता के लोग गेहूं जो सरसो कपास मटर तथा तिल की फसल उगाते थे उस समय किसानों से राजस्व कर के रूप में अनाज लिया जाता था हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न नगरों में मिले अनाज रखने के विशाल गोदाम इसके प्रमाण हैं कालीबंगा में मिले जुताई के मैदानों से यह प्रतीत होता है  कि उनके खेती करने का तरीका आज की तरह ही था हड़प्पा निवासी कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करते थे वे कई जानवरों पशुओं तथा पक्षियों से परिचित थे हड़प्पा निवासी विश्व के प्रथम ऐसे लोग थे जिन्होंने कपास का उत्पादन सर्वप्रथम सिंधु क्षेत्र में किया मोहनजोदड़ो है बुने हुए सूती वस्त्र का एक टुकड़ा मिला है और कई वस्तुओं पर कपड़े के छाप भी मिले हैं इस समय कताई के लिए तखलियों का इस्तेमाल होता था गुजरात के हड़प्पा सभ्यता के लोग चावल उपजाते थे और हाथी पालते थे हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता  उनकी विकसित नगर योजना प्रणाली थी हड़प्पा सभ्यता के नगरों में अनाज रखने के भण्डारो का महत्वपूर्ण स्थान था हड़प्पा तथा कालीबंगा में भी इनके प्रमाण मिले हैं मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार है इसके दोनों सिरों पर नीचे तक सीढ़ियां बनी है बगल में कपड़े बदलने के कमरे है स्नानागार का फर्स पक्की ईंटों का बना है पास के एक कमरे में बड़ा सा कुआ बना है शायद यह स्नानागार किसी धार्मिक अनुष्ठान संबंधी स्नान के लिए बना होगा इसके अलावा हर छोटे-बड़े मकानों में आंगन और स्नानागार होता था पर्यावरण की दृष्टि से जल निकास प्रणाली भी इस समय थी घरों का पानी बहकर सड़कों तक जाता था यह पानी जाकर मुख्य नाले से मिलता था जो ईंट और पत्थर की पट्टियों से ढका रहता था सड़कों की मुख्य नालियों में सफाई की दृष्टि से नलमोखे भी बने थे उनके द्वारा नालियों की समय समय पर सफाई की जाती थी ताम्रस्य युगीन सभ्यता में हड़प्पा की जल निकास प्रणाली आद्वितीय थी विश्व की अन्य किसी दूसरी सभ्यता में सफाई को इतना अधिक महत्व नहीं दिया जाता था जितना की हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने दिया था इससे ज्ञात होता है कि हड़प्पा निवासियों ने पर्यावरण शुद्धि के लिए अधिक ध्यान दिया था भौगोलिक दृष्टि से हड़प्पा सभ्यता विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता थी इसका क्षेत्र मिश्र की सभ्यता से 20 गुना अधिक था इस सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल मोहनजोदड़ो हड़प्पा चान्हूदडो पाकिस्तान में है रोपड़ पंजाब में रंगपुर सौराष्ट्र में लोथर और सुतकोतरा गुजरात में थे कालीबंगा राजस्थान में धौलावारा गुजरात में और वाणावली दशारानीगडी हरियाणा में है माडा जम्मू कश्मीर में

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