Monday, August 28, 2017

महात्मा गांधी के आंदोलन

भारत के राजनीतिक क्षेत्र में महात्मा गांधी का प्रवेश नवीन युग के प्रारंभ का सूचक था । महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति और राष्ट्रीय आंदोलन को नया स्वरुप प्रदान किया । महात्मा गांधी के नेतृत्व में अनेक आंदोलन हुए । गांधीजी का भारत में पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण से शुरू हुआ था । वहां के किसानों पर गोरे भारी अत्याचार कर रहे थे । गोरों ने तिनकठिया नामक एक नियम बनाया था । जिसके द्वारा किसानों को अपनी जमीन के एक हिस्से पर नील की खेती करना अनिवार्य होती थी । जो बाद में अंग्रेजों द्वारा लूट ली जाती थी । गांधीजी भी स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पहुंचे । तो उनके दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ वहां पर उमड़ पड़ी। किसानों ने अपनी सारी समस्याएं गांधीजी को बता दी। तो इससे पुलिस हरकत में आ गई । पुलिस सुपरडेंट ने गांधी जी को जिला छोड़ने का आदेश दिया । तो गांधीजी ने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया । अगले दिन गांधीजी को कोर्ट में हाजिर होना था । तो हजारों किसानों की भीड़ कोर्ट के बाहर जमा हो गई । गांधीजी के समर्थन में नारे लगाए जा रहे थे । हालात की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने पहले तो गांधीजी पर सौ रुपए का जुर्माना लगाया किंतु गांधीजी ने जुर्माना देने से इनकार कर दिया । तो फिर बाद में बिना जमानत के गांधी जी को छोड़ने का आदेश दिया । लेकिन गांधीजी ने कानून के अनुसार सजा की मांग की । अब ब्रिटिश सरकार ने मजबूत होकर एक जांच आयोग नियुक्त किया । गांधी जी को भी इसका सदस्य बनाया गया । परिणाम सामने था इसलिए कानून बनाकर सभी गलत प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया । वहां के किसान अपनी जमीन के मालिक बन गए । और गांधीजी ने भारत में अपनी पहली सत्याग्रह विजय का शंख फूंक दिया । गांधी जी चंपारण में ही थे । तभी अहमदाबाद के मिल मजदूरों ने उन्हें बुलाने का निमंत्रण भेजा । मिलों के मालिक मजदूरों को कठोर यातनाएं दे रहे थे । उनसे वेतन की अपेक्षा काम अधिक कराया जा रहा था । गांधीजी ने दोनों पक्षों से बातचीत करने के बाद उनका निर्णय मजदूरों के पक्ष में गया । लेकिन मिल मालिक मजदूरों को कोई भी आश्वासन देने को तैयार नहीं हुए । तो गांधीजी मजदूरों के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए । अब मालिक और मजदूरों के बीच एक बैठक हुई । जिससे समस्या का हल निकल गया । तो हड़ताल समाप्त कर दी गई । गुजरात के खेड़ा जिले में फसल बर्बाद हो चुकी थी । अंग्रेज गरीब किसानों से लगान चुकाने के लिए दबाव डाल रहे । थे गांधीजी ने एक गांव से दूसरे गांव के लिए किसानों के साथ पैदल यात्रा शुरू कर दी । और उन्होंने किसानों से कहा कि वे जब तक सत्याग्रह के मार्ग पर लगातार चलते रहे तब तक सरकार उनका लगान माफ करने की घोषणा न कर दे । चार महीने तक यह संघर्ष चला । इसके बाद सरकार ने गरीब किसानों के लगान माफ करने की घोषणा कर दी ।

No comments:

Post a Comment

thankyou for comment

कश्मीर की कहानी

सन् 1947 मे जब भारत और पाकिस्तान देश आजाद हुए थे । तब जम्मू और कश्मीर देश की सबसे बडी रियासत थी । इसके दो हिस्से थे । पहला भाग जम्मू औ...

भारत पाकिस्तान युद्ध