Tuesday, August 29, 2017

असहयोग आंदोलन

ब्रिटिश सरकार की दमन नीति अत्याचार और जलियांवाला बाग हत्याकांड से दुखी होकर कांग्रेस के नागपुर अधिवेसन मे असहयोग आन्दोलन को शुरू करने की पुष्टि कर दी गई । गांधीजी ने 1 अगस्त 1920 को  असहयोग आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया । जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार का सहयोग न करके उनके काम मे बाधा डालकर स्वेम स्वराज्य  प्राप्त करना था । गांधी जी ने संपूर्ण भारत में इसकी सूचना पहुंचा दी । इस आंदोलन में संपूर्ण भारत में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं अपनाने की घोषणा की गई । कई लोगों ने सरकारी उपाधि और अवेतनिक पदों को त्याग दिया । और सरकारी तथा अर्धसरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया । कई स्थानों पर लोगों ने सरकारी व सरकार से सहायता प्राप्त विद्यालयों से अपने बच्चे हटा लिए । और राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान बनाने की मांग की । इस आंदोलन में लोगों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित किसी भी प्रकार के चुनाव में हिस्सा न लेने का वादा किया । और अंग्रेजी न्यायालयों का बहिष्कार करके अपने विवादों का निर्णय सीधे पंचायतों द्वारा करने की घोषणा स्वीकार की । जब असहयोग आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था । तब 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले मे चोरी चौरा नामक स्थान पर एक अप्रिय घटना घट गई । जिसके कारण गांधी जी को असहयोग आंदोलन स्थगित करना पडा । गोरखपुर जिले के चोरी-चौरा में अनियंत्रित भीड़ ने एक पुलिस थाने को जला दिया । जिसमें 21 सिपाही और एक थानेदार जलकर मर गए । इस हिंसात्मक घटना के कारण ही गांधी जी को असहयोग आंदोलन स्थगित करना पडा ।

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